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भारत निर्वाचन आयोग , निर्वाचन आयोग के कार्य और शक्तियां

निर्वाचन आयोग     निर्वाचन आयोग का गठन भारत के संविधान द्वारा देश में स्वतन्त्र और निष्पक्ष चुनाव सम्पन्न कराने के उद्देश्य से किया गया था। यह एक स्थायी एवं स्वतन्त्र निकाय है। भारतीय संविधान के भाग-15 में अनुच्छेद-324 से 329 'क' तक निर्वाचन सम्बन्धी उपबन्धों का वर्णन किया गया है। चुनाव आयोग एक अखिल भारतीय निर्वाचन संस्था है, क्योंकि यह केन्द्र एवं राज्य सरकारों दोनों के लिए समान रूप से चुनाव सम्पन्न कराती है। यह उल्लेखनीय है कि राज्यों में होने वाले पंचायतों व निगम चुनावों के लिए भारत के संविधान में अलग राज्य निर्वाचन आयोगों की व्यवस्था की गई है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त एवं अन्य आयुक्त  ◆ संविधान के अनुच्छेद-324 के अन्तर्गत एक स्वतन्त् निर्वाचन आयोग की व्यवस्था की गई है। इस आयोग में एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त तथा अन्य निर्वाचन आयुक्त होते हैं, जिनकी संख्या समय-समय पर राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित की जा सकती है। ◆ इन सभी निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा संसद के बनाए गए कानूनों के आधार पर होती है। निर्वाचन आयुक्तों की सेवा शर्तों तथा उनकी कार्यविधि को ...

भौतिक राशि और उनके मात्रक : SI मात्रक, CGS मात्रक , MKS मात्रक

भौतिक राशि और उनके मात्रक किसी भी भौतिक राशि को मापने के लिए उस राशि के एक निश्चित  परिमाण को मानक मान लेते हैं तथा इस मानक को कोई नाम दे देते हैं, इसी को उस राशि का मात्रक (Unit) कहते हैं। भौतिक राशियों के मापन के लिए निम्नलिखित चार पद्धतियां प्रचलित हैं :- (1) C.GS. पद्धति :- इस पद्धति में लंबाई, द्रव्यमान तथा समय के मात्रक कमशः सेंटीमीटर, ग्राम तथा सेकंड होते हैं, इसलिए इसे Centimeter-Gram-Second या C.G.S. पद्धति कहते हैं। इसे फ्रेंच या मीट्रिक पद्धति भी कहते हैं।   (2) F.F.S. पद्धति :-इसे ब्रिटिश पद्धति भी कहते हैं। इस पद्धति में लंबाई, द्रव्यमान और समय के मात्रक क्रमशः फुट, पाउंड और सेकंड होते हैं। (3) M.K.S. पद्धति :- इस पद्धति में लंबाई, द्रव्यमान और समय के मात्रक क्रमशः मीटर, किलोग्राम एवं सेकंड होते हैं। (4) S.I. पद्धति :-वर्ष 1967 में जेनेवा में अंतरराष्ट्रीय माप-तौल के महाधिवेशन में इस पद्धति को स्वीकार किया गया। आजकल इसी पद्धति का प्रयोग किया जाता है।    इस पद्धति में सात मूल मात्रक और दो संपूरक (सहायक) मात्रक होते ...