भारत निर्वाचन आयोग , निर्वाचन आयोग के कार्य और शक्तियां
निर्वाचन आयोग
निर्वाचन आयोग का गठन भारत के संविधान द्वारा देश में
स्वतन्त्र और निष्पक्ष चुनाव सम्पन्न कराने के उद्देश्य से
किया गया था। यह एक स्थायी एवं स्वतन्त्र निकाय है।
भारतीय संविधान के भाग-15 में अनुच्छेद-324 से 329
'क' तक निर्वाचन सम्बन्धी उपबन्धों का वर्णन किया गया है।
चुनाव आयोग एक अखिल भारतीय निर्वाचन संस्था है,
क्योंकि यह केन्द्र एवं राज्य सरकारों दोनों के लिए समान
रूप से चुनाव सम्पन्न कराती है। यह उल्लेखनीय है कि
राज्यों में होने वाले पंचायतों व निगम चुनावों के लिए
भारत के संविधान में अलग राज्य निर्वाचन आयोगों की
व्यवस्था की गई है।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त एवं अन्य आयुक्त
निर्वाचन आयोग की व्यवस्था की गई है। इस आयोग में
एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त तथा अन्य निर्वाचन आयुक्त
होते हैं, जिनकी संख्या समय-समय पर राष्ट्रपति द्वारा
निर्धारित की जा सकती है।
◆ इन सभी निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा
संसद के बनाए गए कानूनों के आधार पर होती है।
निर्वाचन आयुक्तों की सेवा शर्तों तथा उनकी कार्यविधि
को निश्चित करने का अधिकार संसद को प्राप्त है।
◆ वर्ष 1950 में चुनाव आयोग के गठन के बाद से लेकर
अक्टूबर , 1989 तक आयोग एक सदस्यीय निकाय के
रूप में कार्यरत रहा, परन्तु मत देने की न्यूनतम आयु
21 वर्ष से 18 वर्ष (61वें संविधान संशोधन) करने के
बाद 16 अक्टूबर, 1989 को राष्ट्रपति ने आयोग के
काम भार को कम करने के लिए दो अन्य निर्वाचन
आयुक्तों को नियुक्त किया।
हालाँकि वर्ष 1990 में दो निर्वाचन आयुकतों के पद को
समाप्त कर दिया गया, लेकिन एक बार फिर वर्ष 19983
में दो निर्वाचन आयुक्तों को नियुक्त किया गया। इसके बाद
से अब तक आयोग बहुसदस्यीय संस्था के तौर पर काम
कर रहा है, जिसमें तीन निर्वाचन आयुक्त हैं।
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