भारत का संवैधानिक विकास भाग 1 :

भारत का संवैधानिक विकास (1)


‘‘भारतीय संविधान के निर्माण की एक लम्बी ऐतिहासिक
पृष्ठभूमि रही है। भारतीय संविधान सभा द्वारा निर्मित
भारतीय संविधान से अभिन्न रुप से जुड़े हुए अनेक ऐसे
अधिनियम एवं चार्टर हैं, जिन्हें समय-समय पर ब्रिटिश संसद
में पारित किया गया, जो हमारे संविधान की पृष्ठभूमि कहे जा
सकते हैं।''


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कंपनी के अधीन संवैधानिक विकास (1600-1858)


◆  इस अवधि में जितने भी अधिनियम पारित किए
गए, वे मुख्यत: भारत में कम्पनी के व्यापार को
अपने अनुकूल बनाने के उद्देश्य से पारित किए।
गए थे। भारतीय संविधान के निर्माण की प्रक्रिया
को समझने के लिए इनका विस्तृत अध्ययन
आवश्यक है।


राजलेख (1600)


इस अधिनियम द्वारा ईस्ट इण्डिया कम्पनी को
पूर्वी देशों से व्यापार करने का एकाधिकार प्रदान
किया गया। कम्पनी के भारतीय शासन की समस्त
शक्तियाँ गवर्नर और उसकी परिषद (जिसमें 24
सदस्य थे) को सौंप दी गई।

◆ इस परिषद् को (गवर्नर समेत) ऐसे
नियमों-विधियों तथा अध्यादेशों को बनाने का
अधिकार दिया गया, जिससे कम्पनी के प्रबन्धन व
प्रशासन को सुचारू रूप से चलाया जा सके।
भारत में कम्पनी के अधीन शासन को व्यवस्थित
करने के उद्देश्य से बम्बई, मद्रास और
कलकत्ता को प्रेसीडेन्सी नगर बना दिया गया व
इसका शासन प्रेसीडेन्ट और इसकी परिषद्
करती थी।


राजलेख (1726)


◆ इस राजलेख के द्वारा कलकत्ता, बम्बई तथा मद्रास
प्रेसीडेन्सियों के गवर्नर व उसकी परिषद् को विधि
बनाने की शक्ति प्रदान की गई। यह एक महत्त्वपूर्ण
कदम था, क्योंकि इससे पहले कम्पनी के इंग्लैण्ड
स्थित निदेशक बोर्ड को यह शक्ति प्राप्त थी, किन्तु
गवर्नर और उसकी परिषद् की विधि बनाने की यह
शक्ति सीमित थी।

◆ ये विधियाँ ब्रिटिश विधियों के विपरीत नहीं हो
सकती थी। इसके अतिरिक्त ये विधियाँ तब तक
प्रभावी नहीं होती थीं। जब तक कि वे इंग्लैण्ड
स्थित कम्पनी के निदेशकों द्वारा अनुमोदित न कर
दी गई हों।


रेग्युलेटिंग एक्ट (1773)


◆ इस अधिनियम के तहत भारत में कम्पनी के
शासन हेतु पहली बार एक लिखित संविधान
प्रस्तुत किया गया। इस एक्ट द्वारा भारत में पहली
बार एक सुनिश्चित शासन पद्धति की शुरूआत
हुई। इसके मुख्य प्रावधान निम्न थे।

◆ बंगाल के गवर्नर को बंगाल का गवर्नर-जनरल
 पद नाम दिया गया और बम्बई तथा मद्रास
प्रेसीडेन्सी को कलकत्ता प्रेसीडेन्सी के अधीन
कर दिया गया। गवर्नर-जनरल को युद्ध, सन्धि
व राजस्व सम्बन्धी अधिकार प्रदान किए गए।

इस एक्ट के अधीन वारेन हेस्टिंग्स को बंगाल
का प्रथम गवर्नर-जनरल बनाया गया।

गवर्नर-जनरल को परामर्श देने के लिए चार ।
सदस्यों की एक परिषद् का निर्माण किया गया,
जो बहुमत के आधार पर निर्णय लेती थी।

◆ बंगाल में एक सुप्रीम कोर्ट की स्थापना
(1774 ई. में) की गई, जिसके प्राधिकार में
बंगाल, बिहार एवं उड़ीसा के क्षेत्र शामिल
थे। इस न्यायालय में एक मुख्य न्यायाधीश व
तीन अन्य न्यायाधीश थे।
 इस न्यायालय के
प्रथम मुख्य न्यायाधीश सर एलीजा इम्पे थे।

◆ इस अधिनियम के द्वारा ब्रिटिश सरकार का
‘कोर्ट ऑफ डायरेक्टर के माध्यम से कम्पनी
पर नियन्त्रण सशक्त हो गया।

◆ इसी अधिनियम में कम्पनी के लिए भारत से
सम्बन्धित राजस्व, नागरिक और सैन्य मामलों की
जानकारी देना आवश्यक कर दिया।




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