आर्य समाज : स्वामी दयानंद सरस्वती #

आर्य समाज और स्वामी दयानंद सरस्वती :


• आर्य समाज की स्थापना 1875 ई. में बम्बई में स्वामी
दयानन्द सरस्वती ने की। 1877 ई. में इसका मुख्यालय
लाहौर को बनाया गया था।

• हिन्दू धर्म के दोषों को उजागर करने के साथ उन्होंने
वेदों के अध्ययन पर बल दिया। स्वामी दयानन्द सरस्वती
ने वेदों की ओर लौटों नारा दिया।

• स्वामी दयानन्द सरस्वती ने गौसेवा के लिए गौरक्षिणी
सभा की स्थापना की थी तथा गौकरुणानिधि नामक
पुस्तक की रचना भी की थी। 

- आर्य समाज का प्रसार पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, राजस्थान तथा महाराष्ट्र में अधिक हुआ था।

- दयानन्द सरस्वती ने हिन्दू धर्म छोड़कर अन्य धर्म
अपनाने वालों के लिए शुद्धि आन्दोलन चलाया था।

- स्वामी दयानन्द सरस्वती ने आगरा में पाखण्ड-खाण्डिनीपताका फहराई थी।
- इनके सहयोगी-लाला हंसराज ने 1886 ई. में दयानन्द एंग्लो वैदिक कॉलेज (लाहौर) तथा स्वामी श्रद्धानन्द ने गुरुकुल काँगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार की स्थापना की थी।

 स्वामी दयानंद सरस्वती : 


स्वामी दयानन्द सरस्वती का जन्म 1824 ई. में गुजरात
के मौरवी नामक स्थान पर हुआ था। इनके बचपन का
नाम मूलशंकर था। 

दण्डी स्वामी पूर्णानन्द से इन्होंने 24 वर्ष की अवस्था में संन्यास की दीक्षा ली थी। 

-दयानन्द सरस्वती ने सत्यार्थ प्रकाश नामक पुस्तक की रचना की थी। उनकी अन्य प्रमुख पुस्तकें-पाखण्ड
खण्डन, वेद भाष्य भूमिका, ऋग्वेद भाष्य, अद्वैतमत का
खण्डन, पंचमहायज्ञ विधि, वल्लभाचार्य मत का खण्डन
आदि हैं। 

- 1861 ई. में मथुरा के स्वामी बिरजानन्द से इन्होंने वेदों की गहन शिक्षा प्राप्त की। 

- इन्होंने ही सर्वप्रथम स्वराज शब्द का प्रयोग किया था तथा हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकार किया था। 

- इनकी मृत्यु अजमेर में 30 अक्टूबर, 1883 को हुई थी।

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