राजा राममोहन राय भारतीय पुर्नजागरण के अग्रदूत :

राजा राममोहन राय भारतीय पुर्नजागरण के अग्रदूत :

- राजा राममोहन राय का जन्म 22 मई, 1774 को हुगली (बंगाल) में हुआ था। 

- इनकी शिक्षा पटना एवं बनारस में हई थी। 

- इन्होंने जॉन डिग्बी के दीवान के रूप में कम्पनी में कुछ समय तक कार्य किया था।

-  इनका पहला ग्रन्थ फारसी भाषा में तोहफत-उल-मुवाहिदीन (एकेश्वरवादियों को उपहार) 1809 ई. में प्रकाशित हुआ। 

- 1814 ई. में राजा राममोहन राय ने अपने युवा समर्थकों के सहयोग से आत्मीय सभा की स्थापना की। 

- राजा राममोहन राय ने बांग्ला भाषा में संवाद कौमुदी का प्रकाशन किया। 

-1820 ई. में उन्होंने प्रीसेप्ट ऑफ जीसस नामक पुस्तक प्रकाशित की। इसमें इन्होंने ईसाईत्रयी (पिता, पुत्र, परमात्मा) अर्थात् चमत्कारी कहानियों का विरोध कर मात्र न्यूटेस्टामेण्ट के नैतिक तत्त्वों की प्रशंसा की।

- राजा राममोहन राय को भारतीय पुनर्जागरण का अग्रदूत माना जाता है।

 - सुभाषचन्द्र ने उनको युगदूत कहा था। 

- राजा राममोहन राय को राजा की उपाधि मुगल शासक अकबर द्वितीय ने दी थी। 

इन्होंने 1822 ई. में फारसी भाषा में मिरात-उल-अखबार तथा अंग्रेजी में ब्रह्मनिकल मैग्जीन का प्रकाशन किया। 

- 1833 ई. में ब्रिस्टल (इंग्लण्ड) नामक स्थान पर राजा राममोहन राय की मृत्यु हो गई।

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