मोपला विद्रोह (1836-85): केरल मालाबार क्षेत्र

मोपला विद्रोह (1836-85 ई.) : केरल मालाबार क्षेत्र 


मोपला केरल के मालाबार क्षेत्र में लगभग 1000 वर्ष से अधिक समय से रह रहे अरब एवं मलयाली मुसलमान
थे। ये अधिकतर छोटे किसान या व्यापारी थे। ब्रिटिश
सरकार ने भू-स्वामियों के अधिकार का विस्तार करके
उच्च जातीय हिन्दू नम्बूदरी एवं नायर भू-स्वामियों की
शक्ति बढ़ा दी थी। इसके फलस्वरूप मोपलाओं ने
विद्रोह किया।

- इस विद्रोह ने साम्प्रदायिक रूप धारण कर लिया, क्योकि अधिकांश भू-स्वामी हिन्दू थे तथा काश्तकार मुसलमान थे।

• मोपला किसान मालाबार के हिन्द नम्बूदरी एवं नायर
उच्च जाति, भू-स्वामियों के बटाइदार या असामी
काश्तकार थे।

• नम्बूदरी और नायर जैसे उच्च जाति के भू-स्वामियों को
शासन, पुलिस और न्यायालय से संरक्षण प्राप्त था।
मुसलमानों के धार्मिक गुरु तथा स्थानीय नेता अली
मुसलियार को गिरफ्तार कराने के प्रयास में मस्जिदों पर
छापे मारे गए, परिणामस्वरूप पुलिस को विद्रोहियों के
आक्रामक तेवरों का सामना करना पड़ा, कई विद्रोही
मारे गए।

• वर्ष 1921 में अली मुसलियार के नेतृत्व में पुन: इस
आन्दोलन की शुरूआत हुई, जोकि द्वितीय मोपला विद्रोह के नाम से जाना जाता है। कृषकों में असन्तोष इस आन्दोलन का मूल कारण था, परन्तु कालान्तर में यह साम्प्रदायिक हो गया।

मोपला विद्रोह की उग्रता को देखते हुए सरकार ने
सैनिक शासन की घोषणा कर दी, परिणामस्वरूप मोपला विद्रोह को कुचल दिया गया, जबकि महात्मा गाँधी, अबुल कलाम आजाद और खिलाफत आन्दोलन के नेता शौकत अली ने मोपला विद्रोहियों का समर्थन किया।

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