बंगाल में अंग्रेजों का विस्तार : मुर्शिद कुली खां , अलीवर्दी खां, सिराजुद्दौला तथा प्लासी और बक्सर का युद्ध
बंगाल में अंग्रेजों का विस्तार : मुर्शिद कुली खां , अलीवर्दी खां, सिराजुद्दौला तथा प्लासी और बक्सर का युद्ध :
बंगाल में अंग्रेजों का विस्तार :
• बंगाल भारतीय प्रान्तों में सबसे समृद्ध था. बंगाल में अंग्रेजों ने अपनी पहली फैक्ट्री 1651 ई. में शाहशुजा की अनुमति लेकर बनाई थी।
• 1651 ई. में ही एक राजवंश की महिला की डॉ. बॉटन द्वारा चिकित्सा करने पर शाहशुजा ने अंग्रेजों को तीन हजार रुपये वार्षिक के बदले में बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा में मुफ्त व्यापार की अनुमति प्रदान कर दी।
सूबेदार अजीमुस्यान ने 1698 ई. में कम्पनी को सतानाटी, कालिकाता एवं गोविन्दपुर की जमींदारी दे दी तथा 1717 ई. में मुगल सम्राट फर्रुखसियर ने तीन हजार रुपये में वार्षिक कर के बदले में अंग्रेजों को व्यापारिक छूट प्रदान कर दी।
मुर्शिद कुली खाँ को औरंगजेब ने 1700 ई. में बंगाल का दीवान बनाया तथा 1717 ई. में वह बंगाल का सूबेदार बन गया।
मुर्शिद कुली खाँ (1717-1727 ई.) :
• मुर्शिद कुली खाँ ने अजीमुस्सान (औरंगजेब का पोता) से मतभेद हो जाने के कारण अपनी राजधानी ढाका से मुर्शिदाबाद स्थानान्तरित कर दी। इसके समय में जमींदारों के कुल 3 विद्रोह हुए, मुर्शिद कुली खाँ ने भूमि बन्दोबस्त में इजारेदारी प्रथा का प्रारम्भ किया। इसके बाद इसका दामाद शुजाउद्दीन बंगाल का नवाब बना। ।
• 1739 ई. में शुजाउद्दीन का पुत्र सरफराज खाँ बंगाल का नवाब बना।
इसके समय में बिहार के नाइब सूबेदार अलीवर्दी खाँ के द्वारा विद्रोह कर दिया गया। गिरिया के युद्ध (1790 ई.) में सरफराज की मृत्यु हो गई तथा अलीवर्दी खाँ बंगाल का नवाब बन गया।
अलीवर्दी खाँ (1740-1756 ई.) :
• अलीवर्दी खाँ ने बंगाल मुगल सम्राट को दो करोड़ रुपये घूस देकर अपने पद को हासिल किया था। इसने यूरोपियों की तुलना मधुमक्खियों से की और कहा कि "यदि इन्हें न छेड़ा जाए तो शहद देंगी और यदि छेड़ा जाए, तो काट-काट कर मार डालेगी।"
1756 ई. में अलीवर्दी खाँ की मृत्यु के बाद सबसे छोटी लड़की का पुत्र सिराजुद्दौला, जिसेअलीवर्दी खाँ ने अपना उत्तराधिकारी नियक्त
किया था, नवाब बना।
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