मैसूर और हैदर अली : प्रथम आंग्ल-मैसूर युद्ध (1767-69) , मद्रास की संधि 1769

मैसूर और हैदर अली : प्रथम आंग्ल-मैसूर युद्ध, मद्रास की संधि 1769  

मैसूर


• 1565 ई. में तालीकोटा का निर्णायक युद्ध, जिसने विजयनगर साम्राज्य का अन्त कर दिया, के अवशेषों पर जिन स्वतन्त्र राज्यों का जन्म हुआ, उनमें मैसूर एक प्रमुख राज्य था।

• 18वीं सदी में हैदर अली नामक एक योग्य सेनापति अपनी योग्यता के बल पर मैसूर राज्य का स्वामी बना। हैदर अली के यद्ध कौशल से प्रभावित होकर नंजराज ने 1757 ई. में डिण्डीगल के किले का फौजदार नियुक्त किया। 
फ्रांसीसियों की सहायता से उन्होंने डिण्डीगल में 1755 ई. में एक आधुनिक शस्त्रागार की स्थापना की।

हैदर अली (1761-82 ई.) :


• 1761 ई. में हैदर ने मैसूर की सत्ता पर (नंजराज को हटाकर) कब्जा कर लिया। 1763 ई. में उसने बेडमोर पर अधिकार कर लिया तथा अपनी राजधानी श्रीरंगपट्टनम (एरिंगापट्टनम) में स्थापित की।

1780 ई. में द्वितीय आंग्ल-मैसूर युद्ध के दौरान इनकी मृत्यु हो गई। 1782 ई. में हैदर का पुत्र टीपू सुल्तान मैसूर की गद्दी पर बैठा।


प्रथम आग्ल-मसूर युद्ध (1767-69 ई.):


• प्रथम आंग्ल-मैसूर युद्ध अंग्रेजों की आक्रामक नीति का परिणाम था। हैदर को अंग्रेजों को करारा जवाब देने के उद्देश्य से मराठों तथा निजाम से सन्धि कर एक संयुक्त सैनिक मोर्चा बनाया। तत्पश्चात पर पर आक्रमण किया, परन्तु 1767 ई. में हैदर और निजाम तिरुवंनमलई संगम में पराजित हुए ।

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