भारत मे यूरोपीय शक्तियों का आगमन : पुर्तगाली , डच आगमन, अंग्रेज, डेनिश, फ्रांसीसी का भारत आगमन

भारत मे यूरोपीय कंपनियों का आगमन :


भारत अपनी भौतिक एवं व्यापारिक सम्पदा के कारण
हर काल में यूरोपवासियों के लिए आकर्षण का विषय था।
15वीं शताब्दी में हुई कुछ भौगोलिक खोजों ने संसार के विभिन्न देशों में आपसी सम्पर्क स्थापित करने का मार्ग प्रशस्त कर दिया।

1453 ई. में कुस्तुन्तुनिया के पतन के साथ ही यूरोप 
जाने वाले स्थल मार्ग पर तुर्कों का कब्जा हो गया। इसके कारण पश्चिमी यूरोप के राष्टों ने नए व्यापारिक मार्गों की तलाश प्रारम्भ की। भारत में यूरोपवासियों के आने के क्रम में सर्वप्रथम पुर्तगीज थे , इसके बाद डच, अंग्रेज, डेनिश और फ्रांसीसी आए।


पुर्तगालियों का भारत आगमन  : 

प्रथम पुर्तगाली यात्री वास्को-डि-गामा 90 दिन की
समुद्री यात्रा के बाद अब्दुल मनीक नामक गुजराती
पथ-प्रदर्शक की सहायता से 1498 ई. को कालीकट
(भारत) के समुद्र तट पर उतरा। उस समय कालीकट
का शासक जामोरिन था। 

• पुर्तगाली सामुद्रिक साम्राज्य को एस्तादो द इण्डिया

नाम दिया गया। 

वास्को-डि-गामा के बाद भारत आने 
वाला दूसरा पुर्तगाली यात्री पेड्रो अल्बेयर्स कैब्रल था।
1500 ई. में कैब्रल के नेतृत्व में जहाज भेजे गए।।
अरब व्यापारियों ने पुर्तगालियों का मार्ग अवरुद्ध करने
की कोशिश की। 

वास्को-डि-गामा 1502 ई. में दो जहाजी बेड़ों के साथ दूसरी बार भारत आया।




फ्रांसिस्को-डि-अल्मीडा (1505-09 ई.) :



• भारत में प्रथम पुर्तगाली वायसराय के रूप में

फ्रांसिस्को-डि-अल्मीडा का आगमन हुआ।
 उसने कुछ किले निर्मित करवाए; यथा-अजानीवा, कीवा,बेसीन एवं कोचीन। उसने मिस्र, तुर्की और बेगड़ा की सेना के साथ संघर्ष किया। इसी संघर्ष के बाद
ओरमज घर पुर्तगीजों का कब्जा हो गया।

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