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Showing posts from 2019

रेल्वे सामान्य विज्ञान Railway Speedy one line fact: भौतिक विज्ञान

SPEEDY One Line Fact : physics  इकाई  समय में तय की गई दूरी चाल कहलाता है। इकाई समय में निश्चित दिशा में तय की गई दरी वेग कहलाता है। राशियों को परिमाण और दिशा दोनों होते है, जबकि अदिश राशिओं में केवल परिमाण होता है। बाल एक अदिश राशि है, जबकि वेग एक सदिश राशि है। किसी वस्तु द्वारा निश्चित दिशा में स्थान परिवर्तन विस्थापन कहलाता है। विस्थापन शून्य हा सकता है लेकिन तय की गई दूरी शून्य नहीं होता है। वेग में प्रति इकाई समय में होने वाले परिवर्तन को उस पिण्ड का त्वरण (Acceleration) त्वरण और विस्थापन दोनों ही सदिश राशियाँ है। न्यटन के प्रथम गति नियम के अनुसार- 'कोई वस्त गतिशील है, तो वह गतिशील और स्थिर है तो वह स्थिर ही रहना चाहती है। जब तक की उस पर कोई बाहरी बल कार्य न करे।' । विराम के जड़त्व के कारण रूकी हुई गाड़ी को अकस्मात् चलने से यात्री पीछे की ओर झुक जाता है। गति के जड़त्व के कारण चलती हुई गाड़ी को अचानक रूकने पर यात्री आगे की ओर झुक जाता है। । विराम के जड़त्व के कारण डंडे से प्रहार करने पर कोट की धूल झड़ जाती है।...

Railway speedy one line fact : प्रमुख अविष्कार और अविष्कारक

प्रमुख आविष्कार एवं आविष्कारक  - क्वांटम सिद्धांत - मैक्स प्लैंक - कैलकुलेटर - बी. पास्कल - क्लोरोफॉर्म - जेम्स हैरीसन - टेलीग्राफ - मारकोनी . टेलीविजन - जे. एल. बेयर्ड टेलीफोन - ग्राह्मबेल टेलिस्कोप - गैलीलियो ट्रांजिस्टर - विलियम शाल्क डायनेमो - माइकल फेराडे पेनीसिलिन - 'ए फ्लेमिंग परमाणु बम - आटोहॉन - रेडियो एक्टिविटी - हेनरी बेकुरल | - रेडियम - मैडम क्यूरी - रेडियो- मारकोनी - रक्त परिवहन - विलियम हार्वे - भाप इंजन - जेम्स वाट - रडार - टेलर एवं यंग - गन पाउडर - रोजर बेकन छपाई कला - गुटेनबर्ग हवाई जहाज - राइट ब्रदर्स एक्स-रे - रोटजन हाइड्रोजन - केवेंडिश इलेक्ट्रॉन- जे. जे. थॉमसन प्रोटॉन - गोल्डस्टीन न्यूट्रॉन - जेम्स चैडविक नाभिक - रदरफोर्ड - परमाणु संख्या - मोसले - परमाणु सिद्धांत- डाल्टन बैरोमीटर - टोरीसेली आवर्त का नियम - मेंडलीफ डाइनामाइट - अल्फ्रेड नोबेल - सापेक्षता का सिद्धांत - आईन्सटाइन - जॉन सान - रक्त परिवर्तन - लेण्डस्टीनर इन्सुलिन- बैटिंग - पोलियो के टीका -  जॉन ई. सॉल्क बेतार का तार - मारकोनी - जेट इंजन- फ्रेंक ह्वीटल रडार- अलबर्ट टेलर  प्रिंटिंग प्रेसजॉन -...

रेल्वे सामान्य विज्ञान One line fact : शरीर के प्रमुख अदभुद तथ्य

Railway Speedy शरीर के प्रमुख अद्भुत तथ्य :  • मनुष्य का हृदय धड़कता है- 72 बार/मिनट • मानव खोपड़ी में हड्डियाँ होती है -8 • मनुष्य का हृदय धड़कता है - 72 बार/मिनट • स्वस्थ मनुष्य की श्वसन दर-16 से 18 बार • मस्तिष्क का वजन - 1350 से 1400 ग्राम • मस्तिष्क का बड़ा भाग - प्रमस्तिष्क (सेरेब्रम) • वृक्क (किडनी) का वजन - 150 ग्राम • शरीर की सबसे बड़ी हड्डी - फीमर (जाँघ में) • शरीर की सबसे छोटी हड्डी - स्टेपीज (कान) • शरीर में सबसे मजबूत हड्डी - जबड़े की • शरीर का सबसे कठोर तत्व - एनामिल • सामान्य मनुष्य का रक्त चाप - 120/80 मिमी. • मानव शरीर में जल की मात्रा -65 से 80% | • रक्त की मात्रा शरीर के भार का होता है - 7% • मनुष्य में रक्त की मात्रा होती है-5-6 लीटर • मानव रक्त (क्षारीय) का pH मान -7.4 • रक्त को शुद्ध करता है - किडनी (वृक्क) • लाल रक्त कण का निर्माण - अस्थिमज्जा में| • लाल रक्त कण का जीवन काल- 20-120 दिन • श्वेत रक्त कण का जीवन काल -2-4 दिन श्वेत रक्त कण को कहा जाता है - ल्यूकोसाइट लाल...

मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993

मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 : अध्याय-1 :  प्रारंभिक    1. संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारंभ 2. परिभाषाएँ अध्याय-2  राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग  3. राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का गठन 4. अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति 5. अध्यक्ष और सदस्यों का त्यागपत्र और हटाया जाना 6. अध्यक्ष और सदस्यों की पदावधि 7. कतिपय परिस्थितियों में सदस्य का अध्यक्ष के रूप में कार्य करना या उसके कृत्यों का निर्वहन 8. अध्यक्ष और सदस्यों की सेवा के निबंधन और शर्ते 9. रिक्तियों आदि से आयोग की कार्यवाहियों का अविधिमान्य न होना  10. प्रक्रिया का आयोग द्वारा विनियमित किया जाना। 11. आयोग के अधिकारी और अन्य कर्मचारिवृन्द अध्याय-3 आयोग के कृत्य और शक्तियाँ  12. आयोग के कृत्य 13. जाँच से संबंधित शक्तियाँ 14. अन्वेषण 15. आयोग के समक्ष व्यक्तियों द्वारा किए गए कथन 16. उन व्यक्तियों की सुनवाई पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना संभाव्य है। अध्याय-4 प्रक्रिया  17. शिकायतों की जाँच 18. जाँच के दौरान और जाँच के पश्चात् कार्र...

Railway Speedy Science one line fact कृषि विज्ञान :

Speedy Science one line fact कृषि विज्ञान :  ◆ रबड़ एक नकदी फसल है। ◆ चावल के लिए आदर्श जलवायु 200 सेमी की बार्षिक वर्षा और 25°C का तापमान है। ◆ 'केसर' का उत्पादन जम्मू और कश्मीर में होता है। ◆ दलहन की कृषि के लिए कम तापमान एवं मध्यम वर्षा की आवश्यकता होती है। ◆ नारियल एक रेशादार फल है। ◆कॉफी एक उष्ण कटिबंधीय झाड़ी होता है। ◆ बैंगलोर को 'बगीचों का शहर' कहा जाता है। ● कृष्णा और गोदावरी नदी का डेल्टा क्षेत्र भारत का 'चावल का कटोरा' कहलाता है। ◆  भारत में झूम कृषि सबसे अधिक असम में होती है। ◆ भारतीय कृषि अनुसंधान संस्था (IARI) की स्थापना मूलरूप से 1905 में बिहार के पूसा नामक स्थान पर की गई थी। ◆ वर्तमान में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान' पूसा कैम्पस, दिल्ली में स्थित है। ◆ गेहूँ की खेती के लिए सबसे अच्छी मृदा 'दोमट' है। ◆मक्का को 'अन्नाज की रानी' के नाम से जाना जाता है। ◆ मसूर एक रबी की दलहनी फसल है। ◆ मध्य प्रदेश को 'सोया प्रदेश' के नाम से जाना जाता है। ...

साइमन कमीशन

साइमन कमीशन, 1927-28 ई. : 1919 ई. के भारत शासन अधिनियम में कहा गया था कि अधिनियम के पारित होने के दस वर्ष बाद एक संवैधानिक आयोग की नियुक्ति की जाएगी, जो इसका प्रगति की जाँच करेगा। सर जॉन साइमन की अध्यक्षता में गठित साइमन आयोग में कुल सात सदस्य क्लाइमेण्ट एटली, हेनरी लेवी लासन, एडवर्ड काडोगान, वेर्नोन हार्टशोर्न, जॉर्ज लेन फाक्स, डोनाल्ड हावर्ड आयोग के सदस्य थे, चूंकि इसके सभी सदस्य अंग्रेज थे, इसलिए कांग्रेसियों ने इसे श्वेत कमीशन कहा। 11 दिसम्बर, 1927 को इलाहाबाद में हुए एक सवदलीय सम्मेलन में आयोग में एक भी भारतीय सदस्य को न नियुक्त किए जाने के कारण इसके बहिष्कार का निर्णय लिया गया। साइमन कमीशन का विरोध : •8 नवम्बर, 1927 को साइमन कमीशन की नियक्ति की घोषणा की गई थी। साइमन कमीशन की भारत में तीव्र प्रतिक्रिया हुई, उसमें एक भी भारतीय की नियुक्ति नहीं की गई थी। 27 दिसम्बर, 1927 को मद्रास में हुए कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशन, जिसकी अध्यक्षता एम ए अन्सारी ने की थी, में साइमन कमीशन के पूर्ण बहिष्कार का निर्णय लिया गया। आयोग जहाँ गया  वहाँ साइमन गो बैक के नारे लगाए गए। 3 फरवरी, 1928 को साइ...

भारत के गवर्नर, गवर्नर-जनरल एवं वायसराय : लार्ड क्लाइव, वारेन हेस्टिंग्स

"भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के विस्तार की प्रक्रिया में गवर्नर जनरलों एवं वायसरायों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, उन्होंने न केवल भारत की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप करके ब्रिटिश हित में कार्य किया, बल्कि अनजाने में ही भारत के एक राष्ट्र के रूप में उभरने का मार्ग भी प्रशस्त किया।" बंगाल के गवर्नर  : • 1772 ई. तक कम्पनी का कार्य संचालन बंगाल के गवर्नर  के द्वारा किया गया था। 1772 ई. से 1833 ई. तक बंगाल  का गवर्नर, गवर्नर जनरल बन गया। फिर 1833 से  1857 ई. के बीच वह भारत का गवर्नर-जनरल कहा  जाने लगा। 1857 ई. क्रान्ति के बाद भारत के गवर्नर-जनरल का पद समाप्त कर वायसराय नामक नए  पद का सृजन किया गया। पुन: 1935 के भारत शासन । अधिनियम से भारत का गवर्नर-जनरल पद बहाल किया गया। लॉर्ड क्लाइव (1757-60 ई. 1765-67 ई. : • प्लासी की विजय (1757 ई.) के बाद क्लाइव को बंगाल  का गवर्नर बनाया गया। क्लाइव ने बक्सर के युद्ध (1764)  में सफलता के बाद 1765 ई. में बंगाल में द्वैध शासन लागू  किया, जो 1772 ई. तक चलता र...

सामाजिक धार्मिक सुधार आंदोलन : ब्रह्म समाज, प्रार्थना समाज, आर्य समाज, रामकृष्ण मिशन

सामाजिक धार्मिक सुधार आंदोलन : ब्रह्म समाज, प्रार्थना समाज, आर्य समाज, रामकृष्ण मिशन :  "19वीं शताब्दी में भारत में अनेक नवजागरण वादी विचारों  का प्रभाव बढ़ रहा था। इस प्रभाव ने अनेक सामाजिक तथा धार्मिक सुधार आन्दोलनों को जन्म दिया। आगे चलकर इन सामाजिक एवं धार्मिक सुधार आन्दोलनों ने भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में  महत्त्वपूर्ण भूमिका का  निर्वाह किया।" सामाजिक एवं धार्मिक सुधार आन्दोलनों की प्रकृति :  • भारत के सामाजिक तथा धार्मिक सुधार  आन्दोलन यूरोपीय पुनर्जागरण से पृथक् थे।  यूरोपीय पुनर्जागरण का जोर जहाँ साहित्य तथा  कला पर था, वहीं भारतीय पुनर्जागरण का  महत्त्वपूर्ण सरोकार सामाजिक और राष्ट्रीय था,  किन्तु इसमें धार्मिक प्रवृत्तियाँ भी अंशतः  मौजूद थीं। सुधार आन्दोलन के कारण :  • मुगल शासन के पतन से भारत की राजनीतिक एकता विनष्ट हो गई तथा क्षेत्रीय शक्तियों का उदय हुआ। केन्द्रीकृत सत्ता के कमजोर होने पर भारत में औपनिवेशिक शक्ति का उत्थान हुआ। भारत पर अंग्रेजो का प्रभुत्व बढ़ने के साथ आर्थिक शोषण की प्रव...

मैसूर और हैदर अली : प्रथम आंग्ल-मैसूर युद्ध (1767-69) , मद्रास की संधि 1769

मैसूर और हैदर अली : प्रथम आंग्ल-मैसूर युद्ध, मद्रास की संधि 1769   मैसूर :  • 1565 ई. में तालीकोटा का निर्णायक युद्ध, जिसने विजयनगर साम्राज्य का अन्त कर दिया, के अवशेषों पर जिन स्वतन्त्र राज्यों का जन्म हुआ, उनमें मैसूर एक प्रमुख राज्य था। • 18वीं सदी में हैदर अली नामक एक योग्य सेनापति अपनी योग्यता के बल पर मैसूर राज्य का स्वामी बना। हैदर अली के यद्ध कौशल से प्रभावित होकर नंजराज ने 1757 ई. में डिण्डीगल के किले का फौजदार नियुक्त किया।  फ्रांसीसियों की सहायता से उन्होंने डिण्डीगल में 1755 ई. में एक  आधुनिक शस्त्रागार की स्थापना की। हैदर अली (1761-82 ई.) : • 1761 ई. में हैदर ने मैसूर की सत्ता पर (नंजराज को हटाकर) कब्जा कर लिया। 1763 ई. में उसने बेडमोर पर अधिकार कर लिया तथा अपनी राजधानी श्रीरंगपट्टनम (एरिंगापट्टनम) में स्थापित की। 1780 ई. में द्वितीय आंग्ल-मैसूर युद्ध के दौरान इनकी मृत्यु हो गई।  1782 ई. में हैदर का पुत्र टीपू सुल्तान मैसूर की गद्दी पर बैठा। प्रथम आग्ल-मसूर युद्ध (1767-69 ई.): • प्रथम आंग्ल-मैसूर युद्ध अंग्...

बंगाल में अंग्रेजों का विस्तार : मुर्शिद कुली खां , अलीवर्दी खां, सिराजुद्दौला तथा प्लासी और बक्सर का युद्ध

बंगाल में अंग्रेजों का विस्तार : मुर्शिद कुली खां , अलीवर्दी खां, सिराजुद्दौला तथा प्लासी और बक्सर का युद्ध :  बंगाल में अंग्रेजों का विस्तार :  • बंगाल भारतीय प्रान्तों में सबसे समृद्ध था. बंगाल में अंग्रेजों ने अपनी पहली फैक्ट्री 1651 ई. में शाहशुजा की अनुमति लेकर बनाई थी। • 1651 ई. में ही एक राजवंश की महिला की डॉ. बॉटन द्वारा चिकित्सा करने पर शाहशुजा ने अंग्रेजों को तीन हजार रुपये वार्षिक के बदले में बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा में मुफ्त व्यापार की अनुमति प्रदान कर दी। सूबेदार अजीमुस्यान ने 1698 ई. में कम्पनी को सतानाटी, कालिकाता एवं गोविन्दपुर की जमींदारी दे दी तथा 1717 ई. में मुगल सम्राट फर्रुखसियर ने तीन हजार रुपये में वार्षिक कर के बदले में अंग्रेजों को व्यापारिक छूट प्रदान कर दी।  मुर्शिद कुली खाँ को औरंगजेब ने 1700 ई. में बंगाल का दीवान बनाया तथा 1717 ई. में वह बंगाल का सूबेदार बन गया। मुर्शिद कुली खाँ (1717-1727 ई.) : • मुर्शिद कुली खाँ ने अजीमुस्सान (औरंगजेब का पोता) से मतभेद हो  जाने के कारण अपनी राजधानी ढाका से मुर्श...

भारत मे यूरोपीय शक्तियों का आगमन : पुर्तगाली , डच आगमन, अंग्रेज, डेनिश, फ्रांसीसी का भारत आगमन

भारत मे यूरोपीय  कंपनियों का आगमन : भारत अपनी भौतिक एवं व्यापारिक सम्पदा के कारण हर काल में यूरोपवासियों के लिए आकर्षण का  विषय था। 15वीं शताब्दी में हुई कुछ भौगोलिक  खोजों ने संसार के विभिन्न देशों में आपसी सम्पर्क  स्थापित करने का मार्ग प्रशस्त कर दिया। • 1453 ई. में कुस्तुन्तुनिया के पतन के साथ ही यूरोप  जाने वाले स्थल मार्ग पर तुर्कों का कब्जा हो गया।  इसके कारण पश्चिमी यूरोप के राष्टों ने नए व्यापारिक मार्गों  की तलाश प्रारम्भ की। भारत में यूरोपवासियों के आने के क्रम में सर्वप्रथम पुर्तगीज थे , इसके बाद डच,  अंग्रेज, डेनिश और फ्रांसीसी आए। पुर्तगालियों का भारत आगमन  :  • प्रथम पुर्तगाली यात्री वास्को-डि-गामा 90 दिन की समुद्री यात्रा के बाद अब्दुल मनीक नामक गुजराती पथ-प्रदर्शक की सहायता से 1498 ई. को कालीकट (भारत) के समुद्र तट पर उतरा। उस समय कालीकट का शासक जामोरिन था।  • पुर्तगाली सामुद्रिक साम्राज्य को एस्तादो द इण्डिया नाम दिया गया।  वास्को-डि-गामा के बाद भारत आने  वाला दूसरा पुर्तगाली यात...

ज्वालामुखी क्या है , ज्वालामुखी के प्रकार : सक्रिय ज्वालामुखी, सुषुप्त ज्वालामुखी तथा मृत ज्वालामुखी

ज्वालामुखी क्या है , ज्वालामुखी के प्रकार : सक्रिय ज्वालामुखी, सुषुप्त ज्वालामुखी तथा मृत ज्वालामुखी :  ज्वालामुखी वह स्थान है, जहां से निकलकर गैसें, राख और तरल चट्टानी पदार्थ, लावा पृथ्वी के धरातल तक पहुंचता है।  ज्वालामुखी विस्फोट से निकलने वाली गैसों में जलवाष्प (H.O) की मात्रा सर्वाधिक पाई जाती है। इसके अलावा कार्बन डाइऑक्साइड (CO,) और सल्फर डाइ ऑक्साइड (SO,) प्रमुख गैसें हैं। ज्वालामुखी से उत्सर्जित होने वाली अन्य गैसों में हाइड्रोजन सल्फाइड (H,S), हाइड्रोजन (H), कार्बन मोनो ऑक्साइड (CO), हाइड्रोजन क्लोराइड (HCL), हाइड्रोजन फ्लूओराइड (HF), तथा हीलियम (He) हैं।   ज्वालामुखी उद्गार के समय भू-गर्भ में स्थित तरल पदार्थ को मैग्मा कहते हैं। जब मैग्मा धरातल पर निस्सत होता है, तो उसे लावा की संज्ञा दी जाती है। यह बहुत गर्म होता है।  ताजा निष्कासित लावा का तापमान 600 से 1200 डिग्री सेल्सियस होता है। धरातल पर लावा ठंडा होने के बाद आग्नेय चट्टान का रूप धारण कर लेता है।    सिलिका के आधार पर लावा दो प्रकार का होता है- एसिड लावा एवं बेसिक ल...

मध्यप्रदेश करेंट अफेयर्स Aug-Sep 2019 Part 1

Current Affairs Mp Aug-Sep Month 2019, करेंट अफेयर MP Aug-Sep 2019 :Part 1 1) स्वामी श्री  सुबोधानंद महाराज  राज्य शासन द्वारा गठित  मठ-मंदिर समिति  के अध्यक्ष नियुक्त किये गये हैं। इस समिति का कार्यकाल 6 वर्ष का होगा। समिति का कार्य मठ-मंदिरों का कामकाज देखना तथा मंदिरों के संरक्षण के लिए प्रेषित अनुशंसाओं का क्रियान्वयन करना है। 2)अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान के महानिदेशक आर. परशुराम है। इस संस्थान में व्याख्यान के दौरान चेंज लीडर सृजन के सीईओ श्री प्रसन्न खेगरिया ने ' हर किसान एक बागवान ' जैसी महत्त्वपूर्ण उक्ति दी। 3)बैतूल जिले के ग्रामीण अंचलों में अग्नि दुर्घटनाओं पर काबू पाने के लिए मिनी फायर फाइटर तैयार किये गये हैं। 4)प्रदेश के मुख्य सचिव श्री सुधीर रंजन मोहंती की अध्यक्षता में  इजराइल वर्किंग के साथ प्रदेश अधिकारियों की बैठक आयोजित की गई जिसके तहत् प्रदेश में, साइबर सिक्योरिटी सेंटर बनाने, कृषि, उद्यानिकी, जल प्रबंधन तथा सीवेज सुधार हेतु इजराइल मदद करेगा साथ ही युवा पुलिस अधिकारियों को प्रशिक्...

एशिया महाद्वीप : क्षेत्रफल, सीमायें, विशेषता

एशिया महाद्वीप  यह पृथ्वी पर सबसे बड़ा महाद्वीप है, जो यह विश्व के लगभग 30% क्षेत्रफल पर विस्तृत है, ये आकार और जनसंख्या दोनों की दृष्टि से यह विश्व का सबसे बड़ा महाद्वीप है। इसका क्षेत्रफल 4,45,79,000  वर्ग किमी. है।   पौराणिक रूप से एशिया के विभिन्न भागों के कुछ और नाम भी है जैसे-जम्बूद्वीप-मध्यभूमि (भारतीय उपमहाद्वीप), पुष्कर द्वीप उत्तर-पूर्वी प्रदेश (लाओस, कम्बोडिया आदि), शाकद्वीप दक्षिण-पूर्वी द्वीप समूह। कुछ दक्षिणी द्वीपों को छोड़कर प्रायः उत्तरी गोलार्द्ध में ही स्थित है, जिससे होकर तीन प्रमुख अक्षांशीय वृत्त विषुवत, कर्क और आर्कटिक गुजरते हैं।  एशिया के दक्षिण में हिन्द महासागर, उत्तर में आर्कटिक महासागर और पूर्व में प्रशान्त महासागर हैं। पश्चिम में यूराल पर्वत, कैस्पियन सागर, काला सागर व भूमध्यसागर एशिया और यूरोप की सीमा बनाती है। लाल सागर और स्वेज नहर एशिया को अफ्रीका से अलग करती है। बेरिंग जलसंधि द्वारा यह उत्तर अमेरिका से अलग होती है।  मंगोलिया, नेपाल, भूटान, तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान, किर्गिजस्तान,  तज...

भारत निर्वाचन आयोग , निर्वाचन आयोग के कार्य और शक्तियां

निर्वाचन आयोग     निर्वाचन आयोग का गठन भारत के संविधान द्वारा देश में स्वतन्त्र और निष्पक्ष चुनाव सम्पन्न कराने के उद्देश्य से किया गया था। यह एक स्थायी एवं स्वतन्त्र निकाय है। भारतीय संविधान के भाग-15 में अनुच्छेद-324 से 329 'क' तक निर्वाचन सम्बन्धी उपबन्धों का वर्णन किया गया है। चुनाव आयोग एक अखिल भारतीय निर्वाचन संस्था है, क्योंकि यह केन्द्र एवं राज्य सरकारों दोनों के लिए समान रूप से चुनाव सम्पन्न कराती है। यह उल्लेखनीय है कि राज्यों में होने वाले पंचायतों व निगम चुनावों के लिए भारत के संविधान में अलग राज्य निर्वाचन आयोगों की व्यवस्था की गई है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त एवं अन्य आयुक्त  ◆ संविधान के अनुच्छेद-324 के अन्तर्गत एक स्वतन्त् निर्वाचन आयोग की व्यवस्था की गई है। इस आयोग में एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त तथा अन्य निर्वाचन आयुक्त होते हैं, जिनकी संख्या समय-समय पर राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित की जा सकती है। ◆ इन सभी निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा संसद के बनाए गए कानूनों के आधार पर होती है। निर्वाचन आयुक्तों की सेवा शर्तों तथा उनकी कार्यविधि को ...

भौतिक राशि और उनके मात्रक : SI मात्रक, CGS मात्रक , MKS मात्रक

भौतिक राशि और उनके मात्रक किसी भी भौतिक राशि को मापने के लिए उस राशि के एक निश्चित  परिमाण को मानक मान लेते हैं तथा इस मानक को कोई नाम दे देते हैं, इसी को उस राशि का मात्रक (Unit) कहते हैं। भौतिक राशियों के मापन के लिए निम्नलिखित चार पद्धतियां प्रचलित हैं :- (1) C.GS. पद्धति :- इस पद्धति में लंबाई, द्रव्यमान तथा समय के मात्रक कमशः सेंटीमीटर, ग्राम तथा सेकंड होते हैं, इसलिए इसे Centimeter-Gram-Second या C.G.S. पद्धति कहते हैं। इसे फ्रेंच या मीट्रिक पद्धति भी कहते हैं।   (2) F.F.S. पद्धति :-इसे ब्रिटिश पद्धति भी कहते हैं। इस पद्धति में लंबाई, द्रव्यमान और समय के मात्रक क्रमशः फुट, पाउंड और सेकंड होते हैं। (3) M.K.S. पद्धति :- इस पद्धति में लंबाई, द्रव्यमान और समय के मात्रक क्रमशः मीटर, किलोग्राम एवं सेकंड होते हैं। (4) S.I. पद्धति :-वर्ष 1967 में जेनेवा में अंतरराष्ट्रीय माप-तौल के महाधिवेशन में इस पद्धति को स्वीकार किया गया। आजकल इसी पद्धति का प्रयोग किया जाता है।    इस पद्धति में सात मूल मात्रक और दो संपूरक (सहायक) मात्रक होते ...

भारत का संवैधानिक विकास भाग 2 :

भारत का संवैधानिक विकास भाग 2 : पिट्स इण्डिया एक्ट (1784) ◆ 1778 ई. के रेग्यूलेटिंग एक्ट में व्याप्त कमियों को दूर करने के लिए 1781 ई.में एक एक्ट को पारित किया गया, जिसे एक्ट ऑफ सेटलमेण्ट कहा गया। ◆ इसके बाद 1784 ई. में ब्रिटिश पार्लियामेण्ट ने कम्पनी के ऊपर अपने प्रभाव को और मजबूत करने के उद्देश्य से पिट्स इण्डिया एक्ट को पास किया। इसी एक्ट में पहली बार भारत में कम्पनी के अधीन क्षेत्र को ब्रिटिश आधिपत्य क्षेत्र कहा गया। ◆ इस एक्ट ने कम्पनी के व्यापारिक व वाणिज्यिक कार्यों को एक-दूसरे से अलग कर दिया। ◆ कम्पनी के व्यापारिक (वाणिज्यिक) मामलों को छोड़कर सभी सैनिक, असैनिक तथा राजस्व सम्बन्धी मामलों को एक छः: सदस्यीय नियन्त्रणबोर्ड के अधीन कर दिया गया। इस नियन्त्रण बोर्ड में ब्रिटेन का वित्तमन्त्री अर्थात्‌ चांसलर ऑफ एक्सचेकर, एक राज्य सचिव तथा सम्राट द्वारा नियुक्त चार प्रिवी काउन्सिल के सदस्य होते थे। ◆ इस अधिनियम के द्वारा द्रैध-शासन की शुरूआत हुई, एक कम्पनी के द्वारा तथा दूसरा संसदीय बोर्ड के द्वारा। यह व्यवस्था 1858 ई. तक विद्यमान रह...

भारत का संवैधानिक विकास भाग 1 :

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भारत का संवैधानिक विकास (1) ‘‘भारतीय संविधान के निर्माण की एक लम्बी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि रही है। भारतीय संविधान सभा द्वारा निर्मित भारतीय संविधान से अभिन्न रुप से जुड़े हुए अनेक ऐसे अधिनियम एवं चार्टर हैं, जिन्हें समय-समय पर ब्रिटिश संसद में पारित किया गया, जो हमारे संविधान की पृष्ठभूमि कहे जा सकते हैं।'' कंपनी के अधीन संवैधानिक विकास (1600-1858) ◆  इस अवधि में जितने भी अधिनियम पारित किए गए, वे मुख्यत: भारत में कम्पनी के व्यापार को अपने अनुकूल बनाने के उद्देश्य से पारित किए। गए थे। भारतीय संविधान के निर्माण की प्रक्रिया को समझने के लिए इनका विस्तृत अध्ययन आवश्यक है। राजलेख (1600) इस अधिनियम द्वारा ईस्ट इण्डिया कम्पनी को पूर्वी देशों से व्यापार करने का एकाधिकार प्रदान किया गया। कम्पनी के भारतीय शासन की समस्त शक्तियाँ गवर्नर और उसकी परिषद (जिसमें 24 सदस्य थे) को सौंप दी गई। ◆ इस परिषद् को (गवर्नर समेत) ऐसे नियमों-विधियों तथा अध्यादेशों को बनाने का अधिकार दिया गया, जिससे कम्पनी के प...